अगरतला: टिपरा मोथा पार्टी के संस्थापक व शाही वंशज प्रद्योत बिक्रम माणिक्य देववर्मा ने लोक सभा चुनाव के पहले त्रिपुरा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल होने पर सफाई दी।
फेसबुक लाइव पर प्रद्योत ने कहा कि उन्होंने मांगों से कोई समझौता नहीं किया है और प्रमुख विपक्ष का दर्जा छोड़कर राज्य मंत्रिमंडल में शामिल होना लक्ष्य हासिल करने के लिए एक रणनीतिक निर्णय था। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि पूर्वी त्रिपुरा लोकसभा सीट के लिए उम्मीदवार का फैसला वह करेंगे, चाहे वह किसी भी चुनाव चिन्ह से लड़ें।
जैसे ही विपक्ष के नेता अनिमेष देववर्मा और लोक लेखा समिति के अध्यक्ष बृषकेतु देववर्मा ने भाजपा सरकार में मंत्री के रूप में शपथ ली, विपक्षी दलों के अलावा, प्रद्योत को टिपरा मोथा पार्टी के समर्थकों और उनके अनुयायियों की गंभीर आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।
श्री प्रद्योत पर अपने हित के लिए पार्टी को बेचने और उन मांगों को पूरा करने में अपनी विफलता का प्रबंधन करने का आरोप लगाया गया।
श्री प्रद्योत ने कहा, “केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया कि त्रिपुरा के स्वदेशी समुदायों के साथ गलतियाँ हुईं और वादा किया कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार उन सभी गलतियों को समयबद्ध तरीके से ठीक करेगी, जिससे अधिकार, राजनीतिक स्वायत्तता, आर्थिक विकास, पहचान, संस्कृति भाषा, और भूमि से संबंधित संवैधानिक समाधान निकलेंगे।”
उन्होंने कहा, “हम केंद्र में नई सरकार बनने के लिए अधिकतम छह महीने तक इंतजार करेंगे और कम से कम 70 प्रतिशत मांगों का समाधान करना होगा। मेरी कांग्रेस और सीपीएम से भी बातचीत हुई, लेकिन कोई भी हमें लिखित आश्वासन देने को तैयार नहीं हुआ।”
उन्होंने कहा, “मैंने अपने दोनों मंत्रियों को स्पष्ट कर दिया है कि उन्हें राज्य में लंबित एडीसी की विकास परियोजनाओं को पारित करने समय पर धन जारी करने और हमारे लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए दबाव बनाने के लिए कैबिनेट में लड़ना होगा।”