Sunday, May 19, 2024
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राज्यपाल के अभिभाषण के साथ सोलहवीं राजस्थान विधानसभा का शुरु हुआ पहला सत्र शुरु

जयपुर: राजस्थान की नवगठित सोलहवीं विधानसभा का प्रथम सत्र शुक्रवार को राज्यपाल कलराज मिश्र के अभिभाषण से शुरु हुआ।
इससे पहले श्री मिश्र के विधानसभा पहुंचने पर विधानसभा अध्यक्ष प्रो. वासुदेव देवनानी, मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा, मुख्य सचिव सुधांश पंत और विधानसभा के प्रमुख सचिव महावीर प्रसाद शर्मा ने स्वागत किया। विधानसभा के मुख्य द्वार पर राज्यपाल को आरएसी बटालियन द्वारा सलामी दी गई। बाद में श्री मिश्र को अभिभाषण के लिए सदन में प्रोसेशन में ले जाया गया। अभिभाषण से पहले राज्यपाल ने विधानसभा में संविधान की प्रस्तावना का सदन के सभी सदस्यों को वाचन कराया और बाद में संविधान के मूल कर्तव्यों को पढ़कर सुनाया। अभिभाषण के दौरान राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (रालोपा) के विधायक हनुमान बेनीवाल ने राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) को भंग करने की मांग को लेकर वेल में आकर हंगामा भी किया।
श्री मिश्र ने अपने अभिभाषण में कहा कि दुर्भागय से गत सरकार के पांच वर्ष के र्काकाल में परस्पर पर अतर्विरोध और खींचतान के करण शासन की गाड़ी बेपटरी ही बनी रही लेकिन अब यह पूर्ण बहुमत एवं डबल इंजन की सुस्थिर सरकार राज्य में विकास के नये कीर्तिमान स्थापित कर ना केवल नये राजस्थान का निर्माण करेगी अपितु विकसित राजस्थान एवं विकसित भारत 2047 के संकल्प को साकार करेगी। सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास और सबका प्रयास हमारी सरकार का मूल मंत्र होगा।
उन्होंने कहा कि चुनावी यात्राओं और जनसभाओं के दौरान जनता से किए गए वादे वर्तमान सरकार के संकल्प पत्र का अहम हिस्सा है इसे पूरा करने के लिए हमारी सरकार कटिबद्ध है। उन्हें विश्वास है कि अब खुशहाली, समृद्धि और मजबूती के साथ आपणो अग्रणी राजस्थान का संकल्प जमीन पर साकार होगा। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार अटल बिहारी वाजपेयी और श्री भैरो सिंह शेखावत के पद चिह्नो पर चलते हुए इनके विचारों के प्रति कटिबद्ध रहते हुए लक्ष्य अंत्योदय, पथ अंत्योदय और प्रण अंत्योदय को साकार करेगी।
राज्यपाल ने कहा कि हमारी सरकार का यह नीतिगत निर्णय है कि गत सरकार द्वारा संचालित जन कल्याण की योजनाओं को बंद नहीं किया जायेगा लेकिन चुनावी वैतरणी पार करने के उद्देश्य से अपने कार्यकाल के आखिरी समय में बिना बजटीय प्रावधानों के आनन फानन में घोषित की गई इन तथाकथित कल्याणकारी योजनाओं की समीक्षा अवश्य की जायेगी। विशेषज्ञो द्वारा गहन छानबीन के उपरांत ही इन कथित कल्याणकारी योजनाओं को समुचित वित्तीय आधार देकर ठोस एवं व्यावहारिक नये रुप में जमीनी धरातल पर लागू करने का काम किया जायेगा। इससे लोकतंत्र का असली उद्देश्य जनता का जनता के द्वारा और जनता के लिए शासन सार्थक होगा और केवल भ्रम प्रचार के बजाय सचमुच में जनता का सेवाकार्य सुनिश्चित हो सकेगा।
उन्होंने कहा कि गत सरकार की अविवेकपूर्ण नीतियो, अदूरदर्शी निर्णयों तथा आर्थिक कुप्रबंधन ने बीते पांच वर्षों में राजस्थान को आर्थिक आपातकाल की और अग्रसर किया है जिसके फलस्वरुप राजस्थान पुन: बीमारु और सबसे ज्यादा कर्जदार राज्य की श्रेणी में आ गया है। आरबीआई की ताजा रिपोर्ट के अनुसार आज प्रदेश का कर्ज 5.59 लाख करोड़ तक पहुंच गया है जो वर्ष 2019 में प्रति व्यक्ति कर्जभार 38 हजार 782 रुपए से बढ़कर पिछले वित्त वर्ष में 70 हजार 848 रुपए यानी करीब दोगुना हो गया है।
उन्होंने कहा कि विरासत में मिली प्रदेश की चौपट अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता होगी प्रदेश में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के माहौल को ओर अधिक अनुकूल बनाकर आर्थिक प्रगति का मार्ग प्रशस्त किया जायेगा। राजस्थान के आर्थिक सशक्तीकरण के लिए राजस्थान इकोनॉमिक रिवाइवल टास्क फोर्स की स्थापना की जायेगी जो प्रदेश के भविष्य के मजबूत अर्थतंत्र के लिए रोडमैप तैयार करेगी।

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