Friday, May 17, 2024
spot_img
Homeअन्यमंदिर मामले में देश की जनता का अपमान करने के लिए निश्चलानन्द...

मंदिर मामले में देश की जनता का अपमान करने के लिए निश्चलानन्द मांगे सार्वजनिक माफी

मथुरा: गोवर्धन पीठाधीश्वर जगदगुरू शंकराचार्य अधोक्षजानन्द देव तीर्थ ने पुरी पीठ के उस कथन की तीखी आलोचना की है जिसमें उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री मन्दिर की प्राण प्रतिष्ठा कर रहे हैं इसलिए वे इस समारोह में शामिल नही होंगे।

शंकराचार्य देव तीर्थ ने कहा कि धर्माचार्य द्वारा इस प्रकार का बयान देना देश की 140 करोड़ उस जनता का अपमान है जो सैकड़ों वर्ष से अयोध्या में राम मन्दिर निर्माण की प्रतीक्षा कर रही थी ।उनका कहना था कि धर्माचार्य को इसके लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए।

धर्माचार्य निश्चलानन्द ने हाल में एक बयान देकर यह कहा था कि वे अयोध्या में राम मन्दिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में निमंत्रण मिलने के बावजूद केवल ताली बजाने के लिए समारोह में शामिल न होंगे क्योंकि प्राण पतिष्ठा तो प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा की जा रही है। शंकराचार्य देव तीर्थ ने कहा कि प्रधानमंत्री वर्तमान में विश्व के सर्वाधिक लोकप्रिय नेताओं में से एक है। राम मन्दिर के बारे में कोर्ट का आर्डर जरूर आया किंतु मोदी और योगी की दृढ़ इच्छा शक्ति के कारण ही इतने कम समय में भव्य मन्दिर का निर्माण हुआ है और सैकड़ों साल इंतजार के बाद भगवान राम वहां विराजमान हो रहे हैं। इससे भारतवासी और दुनिया के सनातन धर्मावलम्बी प्रसन्न हैं।केवल यही लेाग दुःखी हैं।

उनका कहना था कि धर्माचार्य ने प्रधानमंत्री की तौहीन ही नही की है बल्कि उस जनता की भी तौहीन की है जिसने प्रधानमंत्री को चुना है। शंकराचार्य ने कहा कि इतिहास साक्षी है कि देश के अधिकांश प्राचीन मंदिरों का निर्माण एव प्राण प्रतिष्ठा राजाओं के द्वारा ही किया गया है। शास्त्रों में कहा गया है कि जो भी शासक होगा वह जनता का प्रतिनिधि होगा। उन्होंने कहा कि ताली बजाने की बात एक गंभीर मसला है जिसकी व्याख्या वे बाद में करेंगे तथा किसी धर्म गुरू द्वारा ऐसा कतई नही कहा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस धर्माचार्य ने अहंकार का आवरण इतना अधिक ओढ़ रखा है कि ऐसा लगता है कि इसे भक्ति शास्त्र के बारे में बिलकुल भी ज्ञान नही है। यदि ताली बजाने की जरूरत है तो बजाई जानेी चाहिए क्योंकि यदि कोई सच्चा भक्त है तो वह ताली भी बजाएगा और नृत्य भी करेगा।

शंकराचार्य ने कहा कि संभवतः यह धर्माचार्य यह भूल गए कि भगवान के मन्दिर में भक्त और भगवान के अलावा तीसरा अन्य नही होता। किसी पीठ के धर्माचार्य भी इसलिए मन्दिर जाते हैं कि उन्हें भगवान का ऐसा आशीर्वाद मिले जिससे वे अधिक से अधिक लोगों का कल्याण कर सकें।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

Most Popular

Recent Comments