Tuesday, June 3, 2025
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भारत के पहले शीतकालीन आर्कटिक अभियान को किरेन रिजिजू ने दिखाई हरी झंडी, बताया क्यों है ये अहम

केंद्रीय मंत्री ने इसे ऐतिहासिक बताया और कहा कि वैश्विक जलवायु और जैव विविधता पर आर्कटिक के अहम प्रभाव पर अध्ययन करने में यह अभियान अहम साबित होगा।


विस्तार

केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरेन रिजिजू ने सोमवार को भारत के सर्दियों के मौसम में पहले आर्कटिक अभियान को हरी झंडी दिखाई। इस अभियान का उद्देशय नॉर्वे के स्वालबार्ड में स्थित भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन हिमाद्रि को पूरे साल संचालित रखना है। चार वैज्ञानिकों की एक टीम मंगलवार को अपने अभियान पर रवाना होगी। बता दें कि भारत का रिसर्च स्टेशन नि-ऑलेसंद में स्थित है, जो कि दुनिया के सुदूर उत्तरी छोर पर एक बस्ती है। यहां भारत समेत दुनिया के 10 देशों के रिसर्च स्टेशन मौजूद हैं। 

रिसर्च के लिए अहम है ये अभियान
अभियान को हरी झंडी दिखाते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हमारे वैज्ञानिक जलवायु और ग्रह के बारे में ज्यादा जानकारी लेने और अनसुलझे रहस्यों के बारे में जानने के लिए पहले शीतकालीन आर्कटिक अभियान पर रवाना होने के लिए तैयार है। केंद्रीय मंत्री ने इसे ऐतिहासिक बताया और कहा कि वैश्विक जलवायु और जैव विविधता पर आर्कटिक के अहम प्रभाव पर अध्ययन करने में यह अभियान अहम साबित होगा। इस अभियान के तहत भारतीय वैज्ञानिकों की टीम 30-45 दिनों तक नि-ऑलेसंद रिसर्च स्टेशन पर रहकर रिसर्च करेगी। उसके बाद दूसरी टीम उसकी जगह लेगी।

#WATCH | On India’s growing science prowess and mission to the Arctic circle, Union Minister for Earth Sciences Kiren Rijiju says, “Our scientists and team have pledged their absolute support to the Ministry of Earth Sciences… Submersible machines being developed to reach the… pic.twitter.com/IOy4chgTTB

साल 2007 से भारत अपने ग्रीष्कालीन आर्कटिक अभियान करता आ रहा है। साल 2008 में भारत ने नॉर्वे के स्वालबार्ड में नि-आलेसंद इलाके में अपना स्थायी रिसर्च स्टेशन स्थापित किया था। अब पहली बार शीतकालीन आर्कटिक अभियान शुरू किया गया है। किरेन रिजिजू ने कहा कि सरकार रिसर्च के लिए सभी जरूरी बजट आवंटन और प्रशासनिक सपोर्ट मुहैया कराएगी और अब शीतकालीन आर्कटिक अभियान भी हर साल किए जाएंगे। भारत के नेशनल सेंटर फॉर पोलर एंड ओसीन रिसर्च के निदेशक थमबन मेलोथ ने बताया कि आर्कटिक में ठंड कम हो रही है और हम पर इसका असर पड़ना शुरू हो गया है। भारत में जलवायु परिवर्तन का संबंध भी आर्कटिक क्षेत्र में पिघल रही बर्फ से मिला है। साथ ही हमारी रिसर्च में पता चला है कि अरब सागर में लगातार आ रहे चक्रवाती तूफानों का संबंध भी आर्कटिक क्षेत्र के गर्म होने से है। 

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