पन्ना:अयोध्या में श्री राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के पहले मध्यप्रदेश के पन्ना जिले स्थित भगवान राम के वनवासी रूप की एक प्राचीनतम मूर्ति इन दिनों समूचे अंचल में चर्चा का विषय बनी हुई है।
बुन्देलखण्ड अंचल के पन्ना जिले में सलेहा के निकट धार्मिक महत्व का एक अनूठा स्थल सिद्धनाथ है, जो ऐतिहासिक व पुरातात्विक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। सिद्धनाथ मन्दिर परिसर में भगवान श्रीराम के वनवासी रूप की दुर्लभ पाषाण प्रतिमा मौजूद है। यह स्थान जिला मुख्यालय पन्ना से 60 किमी दूर विंध्य पहाड़ियों के बीच स्थित है।
पुरातत्वविदों का दावा है कि देश में अब तक प्राप्त भगवान श्रीराम की पाषाण प्रतिमाओं में यह सबसे अधिक प्राचीन है। कहा जाता है कि दुर्गम पहाड़ियों के बीच स्थित इस स्थान पर अगस्त्य मुनि का आश्रम रहा है।
इस पूरे परिक्षेत्र में 10वीं और 11वीं शताब्दी की दुर्लभ पाषाण प्रतिमायें व मन्दिरों के अवशेष बिखरे पड़े हैं। राम वन गमन पथ सर्वेक्षण यात्रा में बुद्धिजीवियों व पुरातत्वविदों का दल जब इस प्राचीन स्थल पर पहुँचा तो वनवासी राम की दुर्लभ और प्राचीन प्रतिमा को देख आश्चर्यचकित रह गया। जिस छोटी सी कुटिया में वनवासी वेश वाली भगवान श्रीराम की जटाजूटयुक्त पाषाण प्रतिमा रखी है, उसी के निकट सिद्धनाथ मन्दिर है, जिसे खजुराहो के मन्दिरों से भी अधिक प्राचीन बताया जाता है।
दुर्लभ पाषाण प्रतिमा में वनवासी राम धनुष की प्रत्यंचा खींचे हुये वीर भाव में दृष्टिगोचर हो रहे हैं जो लक्ष्य भेदने को तत्पर हैं।
अंचल के ग्रामीणों की मान्यता है कि त्रेता युग में भगवान श्रीराम वनवासी वेष में चित्रकूट से चलकर यहां अगस्त्य मुनि के आश्रम में आये थे। यहीं से होते हुये वनवासी राम पंचवटी पहुँचे। इस प्राचीन दुर्गम स्थान का दौरा कर चुके पुरातत्वविदों का कहना है कि इस स्थल का वर्णन वाल्मीकि रामायण में है। दुर्लभ पाषाण प्रतिमा में धनुष खण्डित है, लेकिन जटाजूटयुक्त वनवासी राम का वीर भाव स्पष्ट रूप से देखने को मिलता है।
पन्ना, जहां है भगवान राम के वनवासी रूप की प्राचीनतम प्रतिमा
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