बेंगलुरु: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने गुरुवार को कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी सहित वरिष्ठ पार्टी नेताओं के अयोध्या मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से दूर रहने के फैसले का यह कहते हुए समर्थन किया है कि यह एक ‘राजनीतिक कार्यक्रम’ बन गया है।
श्री सिद्दारमैया ने यहां अपने बयान में कहा , “ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, हमारी वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी और लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर चौधरी का अयोध्या में राम लला स्थापना समारोह में भाग नहीं लेना सही फैसला है और मैं इसका समर्थन करता हूं।” उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संघ परिवार द्वारा प्रायोजित यह ‘राजनीतिक कार्यक्रम’ भगवान राम और देश के 140 करोड़ लोगों का अनादर व्यक्त करता है। यह धार्मिक आयोजन जाति, धर्म और पार्टी लाइनों से ऊपर उठकर भक्ति और सम्मान के साथ आयोजित किया जाना चाहिए, लेकिन प्रधानमंत्री और संघ परिवार के नेताओं ने इसे एक पार्टी कार्यक्रम में बदल दिया गया है।
उन्होंने कहा कि ऐसा धार्मिक समारोह जिसे श्रद्धा के साथ आयोजित किया जाना चाहिए था, उसे एक राजनीतिक अभियान में बदल दिया गया है और यह सभी हिंदुओं के साथ विश्वासघात है। उन्होंने आरोप लगाया कि अक्सर हिंदू संस्कृति, परंपराओं एवं मूल्यों पर व्याख्यान देने वाली भाजपा तथा आरएसएस के नेता भी प्रधानमंत्री द्वारा अधूरे राम मंदिर का उद्घाटन करने के कृत्य पर चुप हैं और यही यह चुप्पी हिंदुत्व के उनके पाखंडी संस्करण को उजागर करती है।
मुख्यमंत्री ने कहा , “राम जन्मभूमि विवाद की शुरुआत के बाद से कांग्रेस पार्टी ने दृढ़ता से अपना रुख बनाए रखा है और अदालत के फैसले के प्रति हमारे सम्मान के अनुरूप राम मंदिर के निर्माण का पूरा समर्थन किया है। इस बारे में हमारी ओर से कोई विवाद नहीं है। मुस्लिम समुदाय ने भी अदालत के फैसले को स्वीकार करके न्यायपालिका के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखायी है। भाजपा, आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद जैसे संगठनों ने हालांकि शुरू में तर्क दिया था कि राम जन्मभूमि मुद्दा आस्था का मामला है और अदालत को निर्णय नहीं लेना चाहिए लेकिन उन्होंने भी शीर्ष न्यायालय के फैसले को अपने पक्ष में स्वीकार कर लिया, जो इन नेताओं के पाखंड को उजागर करता है।”
श्री सिद्दारमैया ने कहा कि राम मंदिर ट्रस्ट के सचिव के इस बयान से विवाद खड़ा हो गया है कि राम मंदिर में शैव और शाक्तों का कोई अधिकार नहीं है और अगर यह सच है तो यह सभी शैव भक्तों का अपमान है। ‘चार शंकराचार्यों’ ने भी इस तरह के रवैये की आलोचना की है और ऐसे स्थापना समारोह का बहिष्कार किया है, जिसने एक एकीकृत कार्यक्रम को हिंदुओं को विभाजित करने वाले कार्यक्रम में बदल दिया है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि श्री मोदी अपने कार्यकाल के एक दशक के करीब हैं, लेकिन उन्हें अपनी उपलब्धियों को दिखाकर चुनाव जीतने का आत्मविश्वास नहीं है इसलिए उन्होंने हिंदुत्व की भावना को भड़काने और अपनी विफलताओं पर पर्दा डालने के लिए चुनाव के दौरान अधूरे राम मंदिर का उद्घाटन करने की जल्दबाजी की है।
उन्होंने कहा , “ पिछले 30-35 वर्षों में भगवान राम के नाम पर भाजपा और संघ परिवार की ओर से किये जा रहे राजनीतिक शोषण को देश के लोगों ने करीब से देखा है। मुझे विश्वास है कि वे दोबारा इस झूठे हिंदुत्व के जाल में नहीं फंसेंगे। लोग अब ईंटों के नाम पर एकत्र किए गए दान के हिसाब-किताब पर सवाल उठा रहे हैं।” उन्होंने कहा कि कांग्रेस हिंदू धर्म के खिलाफ नहीं है, बल्कि छुआछूत, जातिवाद, अंध विश्वास और धर्म के नाम पर किए जाने वाले अंधविश्वासों का विरोध करती है। उन्होंने कहा, “हम राजनीतिक उद्देश्यों के लिए धर्म का इस्तेमाल करने के पूरी तरह खिलाफ हैं। पार्टी को महात्मा गांधी, स्वामी विवेकानन्द, कनकदास, नारायण गुरु और कुवेम्पु जैसी कई महान हस्तियों द्वारा अपनाये गये हिंदू धर्म से कोई दिक्कत नहीं है।
उन्होंने कहा, “हम इस मामले में राजनीतिक लाभ या हानि की गणना नहीं करते हैं। एक जन प्रतिनिधि के रूप में मैंने मंदिर के उद्घाटन और जीर्णोद्धार सहित सैकड़ों धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लिया है। मैंने अपने गांव में भक्तिपूर्वक राम का मंदिर बनाया है और पूजा की है। इसी तरह मैंने मस्जिदों और चर्चों में धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लिया है और सम्मान दिखाया है। सभी धर्मों के सम्मान के संवैधानिक सिद्धांत को बरकरार रखते हुए मैं और मेरी पार्टी इसके लिए प्रतिबद्ध हैं।”
श्री सिद्दारमैया ने कहा, “ भगवान राम का प्रतिदिन सम्मान करना और उनकी पूजा करना उतना ही धार्मिक कर्तव्य है जितना कि राजनीतिक उद्देश्यों के लिए राम का इस्तेमाल करने वालों के खिलाफ आवाज उठाना। कोई भी धर्म दूसरे धर्म के प्रति नफरत नहीं सिखाता। मैं और मेरी पार्टी समाज में सभी समुदायों के लिए शांतिपूर्ण माहौल बनाने के संवैधानिक लक्ष्य के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से कांग्रेस नेताओं के दूर रहने के फैसले के समर्थन में सिद्दारमैया
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