Friday, June 6, 2025
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9 साल बाद फाइनल में पहुंची RCB कैसे बनी IPL-चैंपियन

इंतजार खत्म, IPL की तीसरी सबसे बड़ी टीम RCB ने 18 सीजन में पहला टाइटल जीत ही लिया। अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में मंगलवार पंजाब किंग्स को 6 रन से फाइनल हराया और PBKS के पहले खिताब का इंतजार बढ़ा दिया।

IPL में पहली बार कप्तानी कर रहे रजत पाटीदार ने RCB को घर से बाहर सभी मैच जिताए। टीम ने 11 मैच जीते, इनमें 1-2 नहीं, बल्कि 9 अलग-अलग प्लेयर ऑफ द मैच निकले। गेंदबाजों के दम पर बेंगलुरु ने बता दिया कि बड़े नाम नहीं, मजबूत टीम के सहारे चैंपियन कैसे बना जाता है।

हर प्लेयर का अलग रोल

RCB की विनिंग स्ट्रैटजी मेगा ऑक्शन से पहले ही बननी शुरू हो गई थी। जब मेंटॉर दिनेश कार्तिक ने डायरेक्टर मो बोबत और कोच एंडी फ्लॉवर के साथ प्लानिंग कर बेस्ट टीम खरीदी।

क्रिस गेल, एबी डिविलियर्स, ग्लेन मैक्सवेल और फाफ डु प्लेसिस जैसे बड़े प्लेयर्स पर दांव खेलने वाली RCB ने इस बार विराट कोहली के अलावा किसी भी बड़े प्लेयर को रिटेन नहीं किया।

RCB के यूट्यूब चैनल पर कार्तिक ने बताया कि कैसे मैनेजमेंट ने हर एक रोल के लिए अलग-अलग खिलाड़ी खरीदा। टीम ने ओपनिंग, मिडिल ऑर्डर, फिनिशिंग, स्पिन से लेकर पावरप्ले और डेथ बॉलिंग तक के लिए बेस्ट प्लेयर्स के ऑप्शन तय किए। फिर ऑक्शन में बेस्ट प्लेयर्स ही खरीदे। अगर बेस्ट नहीं मिला तो सेकेंड बेस्ट खरीदा, लेकिन रोल आधारित खिलाड़ियों पर ही फोकस किया।

जिसका नतीजा यह हुआ कि बेंगलुरु ने ऑक्शन के बाद ही लगभग परफेक्ट टीम बना ली। ऐसी ही टीम पंजाब किंग्स और दिल्ली कैपिटल्स ने भी बनाई। पंजाब रनर-अप रही, वहीं दिल्ली पांचवें नंबर पर रहकर बाहर हो गई, लेकिन बेंगलुरु ने चैंपियन बन कर अपनी ऑक्शन स्ट्रैटजी को सही साबित कर दिया।

RCB ने बैटिंग ऑलराउंडर मिलाकर टूर्नामेंट में 11 बैटर्स ट्राई किए। इनमें 5 का स्ट्राइक रेट 170 से ज्यादा का रहा, यानी इनका रोल लगातार अटैक करने का रहा। इनमें रोमारियो शेफर्ड, टिम डेविड, जितेश शर्मा, जैकब बेथेल और फिल सॉल्ट शामिल थे।

बेंगलुरु के 4 बैटर्स ने 250 से ज्यादा रन भी बनाए। इनमें विराट कोहली 657 रन बनाकर टॉप पर रहे। ओपनिंग में फिल सॉल्ट ने उनका बखूबी साथ दिया, जिन्होंने 175 प्लस के स्ट्राइक रेट से 403 रन बना दिए। 10 मैच खेलने के बाद इंजर्ड होकर टूर्नामेंट से बाहर हो गए देवदत्त पडिक्कल ने भी 150 के स्ट्राइक रेट से 247 रन बना दिए। कप्तान पाटीदार ने भी 312 रन बनाए। चारों ने मिलकर RCB के लोअर मिडिल ऑर्डर पर दबाव बढ़ने ही नहीं दिया।

फिनिशर्स पर कभी दबाव बढ़ा भी तो जितेश, डेविड और शेफर्ड ने मौके को भुनाकर टीम को जीत दिलाई। लीग स्टेज के आखिरी मैच में जब RCB को टॉप-2 में पहुंचने के लिए 228 रन चेज करने थे, तब विकेटकीपर जितेश ने ही 33 गेंद पर 85 रन बनाकर बेंगलुरु को जीत दिलाई थी।

4 बॉलर्स ने 13 प्लस विकेट लिए RCB ने बॉलिंग यूनिट में भी ज्यादा बदलाव नहीं किए। जोश हेजलवुड, यश दयाल और भुवनेश्वर कुमार को नई गेंद के साथ डेथ ओवर्स संभालने की जिम्मेदारी मिली। वहीं स्पिनर क्रुणाल पंड्या और सुयश शर्मा को मिडिल ओवर्स में रन रोकने का काम सौंपा गया। दोनों स्पिनर्स ने 8.50 से कम की इकोनॉमी से रन खर्च किए और 25 विकेट भी लिए। क्रुणाल ने तो फाइनल में भी किफायती गेंदबाजी की और महज 17 रन देकर 2 बड़े विकेट निकाल लिए।

हेजलवुड इंजरी के कारण 12 ही मैच खेल सके, लेकिन उन्होंने 22 विकेट निकाले। उन्होंने भुवनेश्वर कुमार के साथ मिलकर पावरप्ले में RCB की गेंदबाजी पर दबाव बढ़ने ही नहीं दिया। भूवी और हेजलवुड अगर कभी फ्लॉप हो जाते तो लेफ्ट आर्म पेसर यश दयाल तीसरे स्पेल में आकर विकेट ले जाते। RCB के पेसर्स ने 64 विकेट निकाले, जो टूर्नामेंट में MI और SRH के बाद सबसे ज्यादा रहे।

पांचों बॉलर्स कभी कामयाब नहीं हो पाते तो रोमारियो शेफर्ड 1-2 ओवर फेंककर बड़ा विकेट ले जाते। उन्होंने फाइनल में भी पंजाब के कप्तान श्रेयस अय्यर को महज 1 रन पर कॉट बिहाइंड कराया और RCB को हावी कर दिया। शेफर्ड ने 8 मैच में 11 की इकोनॉमी से रन खर्च किए, लेकिन 6 विकेट भी निकाले।

1-2 नहीं, 9 अलग हीरोज निकले

RCB के टाइटल विनिंग कैंपेन की सबसे खूबसूरत बात यह रही कि टीम से 9 अलग-अलग खिलाड़ी 12 मुकाबलों में प्लेयर ऑफ द मैच बने। टिम डेविड को तो टीम की हार में भी यह अवॉर्ड मिल गया, क्योंकि उनकी परफॉर्मेंस ने RCB को बेहद मुश्किल पिच पर सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाया था।

बेंगलुरु के प्लेयर ऑफ द फाइनल क्रुणाल पंड्या ने टीम में सबसे ज्यादा 3 बार यह अवॉर्ड जीता। खिताबी मुकाबले के अलावा उन्हें दिल्ली के खिलाफ बैटिंग और कोलकाता के खिलाफ बॉलिंग के लिए प्लेयर ऑफ द मैच का अवॉर्ड मिला। उनके बाद कप्तान रजत पाटीदार ने 2 अवॉर्ड जीते, दोनों अवॉर्ड IPL की सबसे सफल टीमों मुंबई और चेन्नई के खिलाफ आए। इनके अलावा 7 अलग-अलग खिलाड़ी भी 1-1 बार अपने प्रदर्शन के दम पर प्लेयर ऑफ द मैच बने।

RCB से जहां 9 खिलाड़ी चमके, वहीं रनर-अप पंजाब से 5 अलग-अलग खिलाड़ी ही प्लेयर ऑफ द मैच बन सके। तीसरे नंबर पर रही मुंबई के 6 और चौथे स्थान पर फिनिश करने वाली गुजरात के भी 5 ही खिलाड़ी प्लेयर ऑफ द मैच बने। यानी 1 या 2 खिलाड़ियों के दम पर टीमें मैच जीत सकती हैं, लेकिन IPL जैसे टूर्नामेंट को जीतने के लिए ज्यादातर खिलाड़ियों का चलना बेहद जरूरी हो जाता है।

घर से बाहर 90% मैच जीते

पंजाब और बेंगलुरु 18वें सीजन की चुनिंदा टीमें रहीं, जिन्होंने होमग्राउंड पर कम और घर से बाहर ज्यादा मैच जीते। बेंगलुरु ने 15 में से 10 मैच होमग्राउंड से बाहर खेले और 9 में जीत हासिल की।

RCB की घर से बाहर इकलौती हार लखनऊ में सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ मिली। जिसमें जितेश शर्मा कप्तानी कर रहे थे। रजत पाटीदार की कप्तानी में तो टीम ने होमग्राउंड से बाहर सभी 8 मैच जीते, जिनमें मुल्लांपर और अहमदाबाद में पंजाब किंग्स के खिलाफ क्वालिफायर-1 और फाइनल की जीत भी शामिल रही।बेंगलुरु ने अपने अभियान की शुरुआत ही कोलकाता में जीत के साथ की थी, लेकिन टीम को अपने होमग्राउंड चिन्नास्वामी स्टेडियम में 2 हार मिल गई। टीम ने यहां 4 मैच गंवाए, फिर भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव के कारण IPL रोका गया। टूर्नामेंट दोबारा शुरू हुआ तो बारिश के कारण बेंगलुरु को मेजबानी नहीं मिली। सेकेंड फेज में RCB ने अपने सभी मैच होमग्राउंड से बाहर खेले और 1 को छोड़कर सभी में जीत हासिल की।

घरेलू मैदान से बाहर 90% जीत में कप्तान रजत की लीडरशिप स्किल बहुत काम आई। उन्होंने विपक्षी बैटर्स की कमजोरी के हिसाब से गेंदबाजों का इस्तेमाल किया और जरूरत पड़ने पर पावरप्ले में ही स्पिन बॉलिंग भी करवाई। रजत की बेहतरीन स्ट्रैटजी से ही टीम ने क्वालिफायर-1 में पंजाब को 101 रन पर समेटा और फाइनल में उन्हें 191 रन का टारगेट हासिल नहीं करने दिया।

3 फाइनल गंवाए, अब मिली कामयाबी

RCB टूर्नामेंट की उन चुनिंदा टीमों का हिस्सा है, जो 2008 से IPL खेल रही हैं। 2024 तक टीम के पास अचीवमेंट के नाम पर कोई ट्रॉफी भी नहीं थी, लेकिन टीम 3 बार फाइनल में जरूर पहुंची थी। 2009, 2011 और 2016 में RCB ने 3 फाइनल खेले, लेकिन तीनों गंवा दिए।

2025 से पहले बेंगलुरु के लिए इत्तफाक की बात यह रही कि तीनों फाइनल टीम ने चेज करते हुए गंवाए। 2009 में डेक्कन चार्जर्स के खिलाफ RCB ने टॉस जीता, लेकिन 6 रन से मुकाबला गंवा दिया। 2011 और 2016 में टीम को टॉस हारकर पहले बॉलिंग करनी पड़ी, लेकिन चेन्नई और हैदराबाद से हार मिली।

18 सीजन में पहली बार RCB को फाइनल में पहले बैटिंग करने का मौका मिला। अहमदाबाद की बैटिंग फ्रेंडली पिच पर टीम 190 रन ही बना पाई। जो पार स्कोर से करीब 15-20 रन कम था, क्योंकि पंजाब ने इसी मैदान पर मुंबई के खिलाफ क्वालिफायर-1 में एक ओवर बाकी रहते 204 रन चेज कर लिए थे। हालांकि, इस बार RCB ने अपनी बेहतरीन बॉलिंग के दम पर तकदीर बदली और पंजाब को 184 रन पर ही रोककर टाइटल अपने नाम कर लिया।

यानी ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि RCB की किस्मत में पहला IPL जीतना, चेज करते हुए नहीं, स्कोर डिफेंड करते हुए लिखा था। हालांकि, बेंगलुरु से पहले सनराइजर्स हैदराबाद, डेक्कन चार्जर्स, चेन्नई सुपर किंग्स (3 बार) और मुंबई इंडियंस (4 बार) भी पहले बैटिंग करते हुए IPL फाइनल जीत चुकी हैं।

चैंपियन कोहली ने साथ नहीं छोड़ा

भारत के लिए सभी ICC ट्रॉफी जीत चुके विराट कोहली के पास 2024 तक बस IPL ट्रॉफी ही नहीं थी। जिस कारण कई बार उन्हें सोशल मीडिया पर ट्रोल किया जाता। कहा गया कि कोहली ही RCB के लिए पनौती है, जब तक वे रहेंगे बेंगलुरु IPL नहीं जीत सकता।

इन सब के बावजूद कोहली ने RCB और फ्रेंचाइजी ने भी विराट का साथ नहीं छोड़ा। 18वें सीजन से पहले कोहली को RCB ने 21 करोड़ रुपए देकर रिटेन किया। विराट ने लगातार तीसरे सीजन 600 प्लस रन बनाए और बैटिंग की बागडोर संभाली। फाइनल में उन्होंने 35 गेंद पर 43 रन की धीमी पारी खेली, लेकिन मुकाबला जब खत्म हुआ, तब समझ आया कि उनकी पारी के दम पर ही RCB के बाकी बैटर्स बगैर विकेट की चिंता किए खुलकर शॉट्स खेल सके। टीम ने 190 रन बनाए, जिसमें कोहली टॉप स्कोरर रहे।

5वें ओवर में जब पंजाब का पहला विकेट गिरा, तब कोहली अपने ट्रैडिशनल अंदाज में सेलिब्रेशन करने लगे। उनके एक्शन से साफ नजर आ रहा था कि उन्होंने जीत की उम्मीद नहीं छोड़ी है। पंजाब के हर विकेट पर उनकी उम्मीद बढ़ती गई। आखिरी 6 गेंदों पर जब 29 रन बचाने थे, तब भी कोहली की आंखों में हार का डर साफ नजर आ रहा था।

जैसे ही जोश हेजलवुड ने 20वें ओवर की शुरुआती 2 गेंदें डॉट कराईं, कोहली की आंखें लाल हो गईं। वे इमोशनल हो गए। विराट ने मैच के बाद कहा कि उस मोमेंट में उनके सामने RCB के साथ असफलता में गुजारे 17 सीजन नजर आ गए। उन्हें फील हुआ कि इंतजार सफल हुआ। मैच जैसे ही खत्म हुआ, विराट ने मैदान में अपना मुंह छिपाया और फूट-फूट कर रोने लगे। उनके आंसुओं ने हर इंडियन क्रिकेट फैन को कहीं न कहीं इमोशनल कर दिया।

जब कोहली ट्रॉफी लेकर खुशी में जश्न मनाने लगे, तब ऐसा लगा जैसे स्टेडियम में मौजूद RCB के हर फैन की तपस्या पूरी हो गई। जिस लोयल्टी (निष्ठा) की बातें बेंगलुरु के फैंस 17 साल से करते आ रहे थे, उसी का फल RCB ने ट्रॉफी जीतकर उन्हें सौंप दिया। दूसरी ओर, विराट ने भी 12 महीने के अंदर जिस भी टूर्नामेंट में हिस्सा लिया, उसमें चैंपियन बने। 29 जून 2024 को उन्होंने भारत के लिए टी-20 वर्ल्ड कप, 9 मार्च 2025 को उन्होंने चैंपियंस ट्रॉफी और अब 3 जून को IPL पर कब्जा जमा लिया।

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