अब सिर्फ रिपोर्ट नहीं, रेरा की आधिकारिक चेतावनी भी सामने आ चुकी है — “बिना रजिस्ट्रेशन वाली परियोजनाओं से दूर रहें!”
नोएडा से लेकर ग्रेटर नोएडा तक फैले ESCON Infra Realtor Pvt. Ltd. के फर्जी प्रोजेक्ट अब केवल मीडिया की सुर्खियाँ नहीं, बल्कि रियल एस्टेट नियामक संस्था UP RERA की नजर में भी आ चुके हैं। 29 मई 2025 को जारी रेरा की प्रेस विज्ञप्ति में साफ़ कहा गया है कि उपभोक्ता केवल उन्हीं प्रोजेक्ट्स में निवेश करें जो रेरा में विधिवत पंजीकृत हैं। ESCON Infra के Panache Villas (सूरजपुर साइट-C) और सेक्टर 150 नोएडा जैसे किसी भी प्रोजेक्ट का नाम UP RERA पोर्टल पर दर्ज नहीं है।
रेरा के अध्यक्ष संजय भूसरेड्डी की सीधी चेतावनी है — “भ्रामक विज्ञापनों से बचें, और सिर्फ रजिस्टर्ड परियोजनाओं में ही निवेश करें।” यह बात किसी सामान्य एडवाइजरी की तरह नहीं, बल्कि एक गंभीर सार्वजनिक चेतावनी के रूप में सामने आई है। ESCON का मामला इसलिए ज्यादा खतरनाक है क्योंकि इस बार जमीन अवैध नहीं, बल्कि जमीन ही नहीं है — और कंपनी ने ₹14 लाख की अधिकृत पूंजी पर ₹20 करोड़ से अधिक के लोन जुटा लिए हैं।
बैंकिंग संस्थानों में शामिल हैं — Aditya Birla Housing Finance, ICICI Home Finance, IIFL और HDFC Bank — जिन्होंने बिना नक्शा, बिना जमीन स्वामित्व और बिना रेरा मंजूरी के भारी-भरकम ऋण मंजूर किए। सवाल है: क्या ये संस्थान अब खुद इस घोटाले के भागीदार हैं?
इतना ही नहीं, ESCON Infra की पूरी ठगी अब सोशल मीडिया के जरिए फैलाई जा रही है। Instagram पर “₹11,000 में बुकिंग चालू” वाली Reels, Facebook पर “Luxury Villas in Sector 150” के विज्ञापन, और YouTube पर ऐसे Site Tour दिखाए जा रहे हैं, जो वास्तव में अस्तित्व में ही नहीं हैं। यह सिर्फ डिजिटल मार्केटिंग नहीं — डिजिटल फ्रॉड का नया चेहरा है।
क्या मेटा (फेसबुक-इंस्टाग्राम) और गूगल जैसी कंपनियाँ इन स्कैमर्स को प्रमोट करने की जिम्मेदारी लेंगी? क्या सरकार इन प्लेटफॉर्म्स से जवाब मांगेगी?
अब जब रेरा ने स्पष्ट कहा है कि सभी जानकारी — भूमि, नक्शा, बैंक अकाउंट, प्रमोटर का ट्रैक रिकॉर्ड — सब कुछ रेरा पोर्टल पर मौजूद है, तो सवाल यह नहीं कि ESCON झूठ बोल रहा है, बल्कि यह है कि जनता कब तक अंधविश्वास और EMI के जाल में फंसती रहेगी?
शाहबेरी में भी नक्शा नहीं था, जमीन विवादित थी और लोग तबाह हो गए थे। ESCON में भी वही कहानी है — बस अब ब्रोशर की जगह Instagram Reel है, और स्थानीय दलालों की जगह Meta का एल्गोरिदम है।
तो क्या यह घोटाला शाहबेरी से छोटा है?
नहीं! यह शाहबेरी 2.0 है — और इस बार तस्वीरें डिजिटल, मगर दर्द असली है।
सवाल जिंदा हैं
- किसने ₹20 करोड़ के लोन पास किए?
- GNIDA और RERA चुप क्यों हैं?
- Meta और Google कब तक ऐसे स्कैम को प्रमोट करेंगे?
- जनता की कमाई पर बिल्डर कब तक हावी रहेंगे?
यदि इस बार भी चुप्पी रही, तो अगला शाहबेरी ESCON नहीं — आपका मोहल्ला हो सकता है।